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"बोध / राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर

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गीत को: संगीत को!
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15:17, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

भूल जाओ _
मिले थे हम
कभी!
चित्र जो अंकित हुए
सपने थे
सभी!
भूल जाओ _
रंगों को
बहारों को,
देह से : मन से
गुज़रती
कामना-अनुभूत धारों को!
भूल जाओ _
हर व्यतीत-अतीत को,
गाये-सुनाये
गीत को: संगीत को!