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"बोध / राग-संवेदन / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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− | भूल जाओ _ | + | देह से : मन से |
− | हर व्यतीत-अतीत को, | + | गुज़रती |
− | गाये-सुनाये | + | कामना-अनुभूत धारों को! |
− | गीत को : संगीत को! | + | भूल जाओ _ |
+ | हर व्यतीत-अतीत को, | ||
+ | गाये-सुनाये | ||
+ | गीत को: संगीत को! | ||
+ | </poem> |
15:17, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
भूल जाओ _
मिले थे हम
कभी!
चित्र जो अंकित हुए
सपने थे
सभी!
भूल जाओ _
रंगों को
बहारों को,
देह से : मन से
गुज़रती
कामना-अनुभूत धारों को!
भूल जाओ _
हर व्यतीत-अतीत को,
गाये-सुनाये
गीत को: संगीत को!