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"दिनारंभ / माया दर्पण / श्रीकांत वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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एक मारवाड़ी मुनीम जमुहाई लेता हुआ  
 
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कुंजी का गुच्छा खोंसे  
 
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अपनी टेंट में  
 
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चलता चला चलता है दुकान की ओर  
 
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बही खोल लिखता है  
 
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श्री गणेशाय नमः, शुभ-लाभ।
श्री गणेशाय नमः, शुभ-लाभ ।
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जमुहाई लेकर फिर एक बार जोरसे  
 
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कहता है-  
 
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ऊँ नमः शिवाय!
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पटरी पर खड़ी एक गाय  
 
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रँभाती है  
 
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गली से एक स्त्री  
 
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हाथ में झा़डू  
 
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सिर पर टोकरा लिये  
 
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आती है।
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सड़क पर धूल, आँख में कीचड़  
 
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पेड़ पर धूप  
 
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धोती पर दाग  
 
धोती पर दाग  
 
 
चौके में धुआँ  
 
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अचानक हर घर में  
 
अचानक हर घर में  
 
 
सुबह  
 
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एक बिल्ली मुँडेर पर  
 
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बैठी हुई  
 
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दूसरी बिल्ली से  
 
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झगड़ती है  
 
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दुकानें खुलती हैं।
दुकानें खुलती हैं ।
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16:40, 1 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

एक मारवाड़ी मुनीम जमुहाई लेता हुआ
कुंजी का गुच्छा खोंसे
अपनी टेंट में
चलता चला चलता है दुकान की ओर
बही खोल लिखता है
श्री गणेशाय नमः, शुभ-लाभ।
जमुहाई लेकर फिर एक बार जोरसे
कहता है-
ऊँ नमः शिवाय!

पटरी पर खड़ी एक गाय
रँभाती है
गली से एक स्त्री
हाथ में झा़डू
सिर पर टोकरा लिये
आती है।
 
सड़क पर धूल, आँख में कीचड़
पेड़ पर धूप
धोती पर दाग
चौके में धुआँ
अचानक हर घर में
सुबह
फट पड़ती है।
एक बिल्ली मुँडेर पर
बैठी हुई
दूसरी बिल्ली से
झगड़ती है
 
दुकानें खुलती हैं।