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"शासक के प्रति / जय गोस्वामी" के अवतरणों में अंतर
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वही-वही खाऊँगा, वही-वही पहनूँगा | वही-वही खाऊँगा, वही-वही पहनूँगा | ||
वही-वही लगाकर, | वही-वही लगाकर, |
20:30, 2 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
आप जो-जो कहेंगे,
मैं बिल्कुल वही-वही करूँगा!
वही-वही खाऊँगा, वही-वही पहनूँगा
वही-वही लगाकर,
निकलूँगा सैर को!
छोड़ दूँगा, अपनी निजी ज़मीन भी
और चला जाऊँगा 'टूं' भी किए बिना!
अगर आप कहेंगे,
गले में रस्सी डालकर
झूलते रहो सारी रात-- वही करूँगा!
लेकिन, अगले दिन, जब आप हुक्म देंगे,
आओ, अब उतर आओ!
तब मुझे उतारने के लिए,
आपको और लोगों की ज़रूरत पड़ेगी,
मैं उतर नहीं पाऊँगा, अपने आप, अकेले!
आपसे निवेदन है,
मेरी इतनी-सी अक्षमता पर,
कृपया ध्यान न दें!
बांग्ला से अनुवाद : सुशील गुप्ता