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हिस्सा / नरेश सक्सेना

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|संग्रह=समुद्र पर हो रही है बारिश / नरेश सक्सेना
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बह रहे पसीने में जो पानी है वह सूख जाएगा
 
लेकिन उसमें कुछ नमक भी है
 
जो बच रहेगा
 
टपक रहे ख़ून में जो पानी है वह सूख जाएगा
 
लेकिन उसमें कुछ लोहा भी है
 
जो बच रहेगा
 
एक दिन नमक और लोहे की कमी का शिकार
 
तुम पाओगे ख़ुद को और ढेर सारा
 
ख़रीद भी लाओगे
 
लेकिन तब पाओगे कि अरे
 
हमें तो अब पानी भी रास नहीं आता
 
तब याद आएगा वह पानी
 
जो तुम्हारे देखते-देखते नमक और लोहे का
 
साथ छोड़ गया था
 
दुनिया के नमक और लोहे में हमारा भी हिस्सा है
 
तो फिर दुनिया भर में बहते हुए ख़ून और पसीने में
 
हमारा भी हिस्सा होना चाहिए।
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