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सदस्य:Sharda monga

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पंजाब मैं औरतें दुपहर में मिलजुल बैठ हँसते, गाते, खेलते घर के काम करतीं हैं:-[[[== पंजाबी लोकगीत ==[[चन्ना वे तेरी मेरी चानड़ी]]
पंजाबी लोकगीत चन्ना वे तेरी मेरी चानड़ी,
-तिरंजन बैठियाँ नाराँ भला जी झुरमुट पाया ए कूं कूं चर्खयातारया वे तेरी मेरी लो, मैं लाल पूणी कतां के न दूर मेरे सवारे, दस वसां के न
-पेक़े दी नी ओ ओ तारया वे तेरी मेरी नवीं निशानी कूं कूं चरखा बोले मुडडे कत कत रात बितायी भर लए पछियाँ गोले अजे न कत्या सौ गज खद्दर हाय जदों दा चरखा डाया एलो, सस्स नूं तरस न आया ए तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-सरगी उठ मदानी रिड्कानचन्न पकावे रोटियां, भरूं लस्सी दा छन्ना तारा करे रसो,ढोडा मक्खन ले के बेठुं जद आये मेरा चन्नानी ओ ओ तारा करे रसो,बारी होले तक चन्न दियां पक्कियां खा लईयां,  तारे दियां रह गईयाँ दो,  नी लाडो हो के तेरा गबरू आया एओ ओ तारे दियां रह गईयाँ दो,तिरंजन बैठियाँ नाराँ...सस ने मैनू आख्या,  घ्यो विच आटा गो,  नी ओ ओ घ्यो विच आटा गो,  घ्यो विच आटा थोडा पया, सस्स मैनू गलियां देवे,  नी ओ ओ सस्स मैनू गलियां देवे,  न दे सस्से गलियां,  एथे मेरी कौन सुणे नी ओ ओ एथे मेरी कौन सुणे,
-चक्की मुड पे आता पीवन दोनों नन्द जिठानी
सस्स मिस्ससां झिडकां दित्तियां कौन लिआवे पानी
चटक मटक के भाबो आई, सिरे ते मटका चाया ए
तिरंजन बैठियाँ नाराँ...
-सौ हथ दी लज खुए दी खिच खिच बावाँ बागे विच मेरा बापू खड़ा, भार पिंडे ते धौण डौल गई दूर पिंडे दियां रावां दूरों किदरों फाती आयेरो रो नीर भरे, सिरे ते मटका चाया ए तिरंजन बैठियाँ नाराँनी ओ ओ रो रो नीर भरे,  न रो बापू मेरेया, इत्थे मेरा कौन सुणे,  नी ओ ओ इत्थे मेरा कौन सुणे,  बागे विच मेरा वडा भराह,  रो रो नीर भरे,  नी ओ ओरो रो नीर भरेन रो वीरा आपने.  इत्थे मेरा कौन सुणे. नी ओ ओ इत्थे मेरा कौन सुणे. न रो माये मेरिये. इत्थे मेरा कौन सुणे.  नी ओ ओ इत्थे मेरा कौन सुणे.  चन्न दियां पक्कियां खा लईयां,  तारे दियां रह गईयाँ दो.
-नो मन कनक लियांदी बारों ए लाले डे चाले साफ़ करदेयाँ मन नहीं धाया, हथीं पे गये छाले शाबा सानुं शाबा, असां कम्म करदेयां मन नहीं ढाया ए,तिरंजन बैठियाँ नाराँ..नी ओ ओ तारे दियां रह गईयाँ दो.
-असीं निषंग मलंग बेलिया असीं निषंग मलंग सानु हसन खेडण भावे कम्म काज की आखे सानु, मन दी मौज उड़ाइए,जदों दी मैं मज्ज वेच के घोड़ी लई,दुद्ध पीना रह गया ते लिद्द चुकणी पई-रहे जागीर सलामत साडी हो के रब ने भाग लगाया ए,तिरंतन बैठिया नाराँ, भला जी झुरमुट पाया ए...]]
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