कवि: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=निदा फ़ाज़ली]][[Category:कविताएँ]][[Category:|संग्रह=खोया हुआ सा कुछ / निदा फ़ाज़ली]]}}{{KKCatGhazal}}<poem>गरज-बरस प्यासी धरती परफिर पानी दे मौलाचिड़ियों को दाने, बच्चों कोगुड़धानी दे मौला
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~दो और दो का जोड़ हमेशाचार कहाँ होता हैसोच-समझवालों को थोड़ीनादानी दे मौला
गरज-बरस प्यासी धरती पर<br>फिर पानी दे मौला<br>रौशन कर ज़हर का प्यालाचिड़ियों को दाने, बच्चों चमका नयी सलीबेंझूठों की दुनिया में सच को<br>गुड़धानी ताबानी दे मौला<br><br>
दो और दो का जोड़ हमेशा<br>फिर मूरत से बाहर आकरचार कहाँ होता है<br>चारों ओर बिखर जासोच-समझवालों फिर मन्दिर को थोड़ी<br>कोई मीरानादानी दीवानी दे मौला<br><br>
फिर रौशन कर ज़हर का प्याला<br>चमका नयी सलीबें<br>झूठों की दुनिया में सच को<br>ताबानी दे मौला<br><br> फिर मूरत से बाहर आकर<br>चारों ओर बिखर जा<br>फिर मन्दिर को कोई मीरा<br>दीवानी दे मौला<br><br> तेरे होते कोई किसी की<br>जान का दुश्मन क्यों हो<br>जीनेवालों को मरने की<br>आसानी दे मौला<br><br/poem>