भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दो हाथ / ओम प्रभाकर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम प्रभाकर |संग्रह= }} {{KKCatNavgeet}} <poem> ये फैले :खुले ::दो ह…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो ("दो हाथ / ओम प्रभाकर" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
01:44, 4 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
ये फैले
खुले
दो हाथ
ये करें तो क्या करें?
छिली-कुचली-कसमसाती अँजुरियों में
धुआँ-कोहरा-रेत ये कैसे भरें!
रहें सहलाते
पीड़ा से चटकता माथ।
या कि बँधकर
मुट्ठियाँ ही तनें
तड़पें-मिटें जैसे गाज।
लेकिन आज
ये खुले दो हाथ केवल
ये फैले खुले दो हाथ केवल
कौन इनके साथ?
रहें सहलाते
पीड़ा से चटकता माथ।