Changes

सदस्य वार्ता:Dkspoet

11,558 bytes added, 02:30, 13 फ़रवरी 2010
सादर नमस्कार धर्मेन्द्र जी == संग्रहों के चित्र ==
एक और किताब पूरी होने पर बधाई स्वीकार करें आप तो इतने कम समय में मेरे ideal भी बन गए हैंप्रिय धर्मेन्द्र, काम करने की गति , लगन , और लक्ष्य पर नज़र सभी गुण झलकते हैं मैं बहुत प्रभावित हूँ और खुद को बदलने के लिए बाध्य ..................................
अपने वार्ता पन्ने से पुरानी वार्ता जो अब अनुपयोगी हो उसे हटाने से नयी वार्ता में आसानी होती है .........
--[[सदस्य:Shrddha|Shrddha]] १३:००, २३ अक्टूबर २००९ (UTC)==बड़े कवियों आप संग्रहों के जो चित्र अपलोड करते हैं उनमें से कई काफ़ी नीरस किस्म के होते हैं। सफ़ेद बैकराउंड पर बस संग्रह और रचनाकार का कूड़ा==नाम लिखा होता है। मेरे ख्याल में हमें कोशिश करनी चाहिये कि हम इससे बेहतर और रंगीन चित्रों का प्रयोग करें। ये सफ़ेद चित्र कोई भी नयी जानकारी या रुचिकर ग्राफ़िक्स नहीं दिखाते हैं। आप ऐसे चित्रों को अपलोड करते रह सकते हैं लेकिन साथ ही कोशिश करें कि संग्रह के कवर का बेहतर चित्र मिल जाये। और ऐसा होने पर आप कोश में कवर का चित्र बदल दें।
प्रिय धर्मेन्द्र जी! ठीक कहा आपने कि कुछ बड़े कवियों की कुछ रचनाएँ कूड़े जैसी लगती हैं। लेकिन चूँकि वे ’बड़े’ बन गए हैं और ’बड़े’ माने जाते हैं इसलिए हमें उनकी सभी रचनाएँ कविता कोश में जोड़नी होंगी। चाहे वे कितनी भी ख़राब हों। बड़े कवि हो जाने का यह फ़ायदा तो उन्हें मिलता ही है जो नए और सामान्य कवियों को नहीं मिलता।
--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] २१:१०, १६ नवम्बर २००९ (UTC)
== २५,००० पन्ने का सफ़र तय हो गया ==आपको अपने वार्ता पन्नें से सामग्री हटाने की ज़रूरत नहीं है। विभिन्न सदस्यों के बीच की वार्ता बाद में अन्य सदस्यों के काम भी आ सकती है। उदाहरण के लिये आपके वार्ता पन्नें पर मेरे इस संदेश को पढ़कर (वर्तमान और भविष्य दोनों के) अन्य सदस्य भी चित्रों के बेहतर होने की बात को समझ सकेंगे।
धर्मेद्र जी हार्दिक बधाई:-
बहुत बहुत बधाईaroma 02:29, २५,००० पन्ने का सफ़र तय हो गयाआपके जैसा साहित्य के प्रति समपर्ण मैंने बहुत कम देखा 13 फरवरी 2010 (UTC)आशा हैमैं २८ दिसंबर तक व्यस्त रहूंगी ऑनलाइन आना नहीं हो सकेगाआने के बाद आपका जोड़ा गया काम आराम से पढूंगीरामधारी सिंह दिनकर जी की रचनाएँ जोड़ने के लिए मेरी शुभकामनाएँ हिंदी साहित्य को अंतरजाल पर इस तरह पैर फैलाते देख मन हर्षित हो उठता है दुआ है कि सभी मिल कर इसी तरह काम करते जाएँ और नए साथी जोड़ते जाएँ, सहयोग, प्रेम, आदर और समर्पण हमारे बीच में जब तक रहेगा, कविताकोश इसी तरह उन्नति करता रहेगा बधाई के साथ आप स्वस्थ व प्रसन्न होंग--[[सदस्य:Shrddhaसम्यक|Shrddhaसम्यक]] ०१०६:५८२३, २१ नवम्बर १४ दिसम्बर २००९ (UTC)'''
== बधाई! री-अपलोड ==
कविता कोश में 25,000 पन्नें पूरे होने के अवसर पर आपके सहयोग के लिये धन्यवाद और इस उपलब्धि पर मेरी ओर से हार्दिक बधाई! पच्चीस हज़ारवां पन्ना बनाने के लिये, प्रिय धर्मेंद्र, आपको विशेष शुभकामनाएँ।
शुभाकांक्षी
चित्रों के नये वर्ज़न को अपलोड करने (यानि री-अपलोड करने) का अधिकार भी कविता कोश में केवल कुछ योगदानकर्ताओं को ही दिया गया है। जब कभी भी आपको री-अपलोड करने की ज़रूरत पड़े तो मुझे लिखियेगा। मैं आपको यह अधिकार देने में सक्षम हूँ। अधिकार मिल जाने के बाद आपको बस इतना करना है कि जिस नाम से चित्र पहले से मौजूद है '''बिल्कुल उसी नाम''' का नया वर्ज़न अपलोड करें। सिस्टम आपसे कहेगा कि इस नाम से एक फ़ाइल पहले ही अपलोड की जा चुकी है -क्या क्या इस फ़ाइल का नया वर्ज़न अपलोड करना चाहते हैं? आपको हाँ कहना है और नया वर्ज़न अपलो````सदस्य:सम्यक|सम्यक]] १२:०६, १४ दिसम्बर २००९ (UTC)''' == चित्रों के नाम... == धर्मेन्द्र,  कृपया अपलोड किये जाने वाले चित्रों के नाम अंग्रेज़ी अक्षरों में ही लिखें। इस समय वैसे कोई समस्या नहीं है -लेकिन संभव है कि भविष्य में हिन्दी नाम वाली फ़ाइल्स को किसी और काम के लिये प्रयोग करते समय कोई समस्या आए।  धन्यवाद  aroma 02:30, 13 फरवरी 2010 (UTC)[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] ०५०६:१६४३, २१ नवम्बर २४ दिसम्बर २००९ (UTC)''' धर्मेन्द्र जी!रंजना भाटिया को असुरक्षित कर दिया है।--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] ०७:५१, २५ दिसम्बर २००९ (UTC) धर्मेन्द्र जी !चन्द्रभूषण को असुरक्षित कर दिया है।--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १५:१९, २५ दिसम्बर २००९ (UTC) धर्मेन्द्र जी !देवी नांगरानी, शार्दुला नोगजा और कविता वाचक्नवी को असुरक्षित कर दिया है।--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १५:५०, २५ दिसम्बर २००९ (UTC) ==दिनकर पन्नों के नाम बदलना == प्रिय धर्मेंद्र,  आप कविता कोश में पहले से उपस्थित पन्नों की त्रुटियों को सुधारने का महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। इसी संबंध में आप बहुत से पन्नों के नाम भी बदल रहे हैं; लेकिन ऐसा करते समय आप उस पन्नें की ओर जाने वाले लिंक को नहीं बदल रहे हैं। उदाहरण के लिये आपने "जलसाघर(कविता) / श्रीकांत वर्मा" का नाम बदलकर "जलसाघर (कविता) / श्रीकांत वर्मा" कर दिया गया है। लेकिन श्रीकांत वर्मा के "जलसाघर" नामक संग्रह पर इस कविता के लिंक में आपने यह बदलाव नहीं किया। लिंक अभी भी "जलसाघर(कविता) / श्रीकांत वर्मा" की ओर ही जाता है (और फिर वहाँ से redirect हो कर नये नाम वाले पन्ने तक पहुँचता है)। यदि आप लिंक्स भी बदल देंगे तो बेहतर होगा।  '''--[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] 09:10, 29 दिसम्बर 2009 (UTC)''' ===टीम के सदस्य===बन्धुवर,आपने यह नोट कर लिया होगा कि आपको कविताकोश टीम का सहयोगी सदस्य बना लिया गया है। जल्दी ही कुछ आवश्यक अधिकार भी आपको सौंप दिए जाएंगे। लेकिन उससे पहले टीम की एक मीटिंग में सब तय करना होगा। इसलिए इस काम में थोड़ा समय लगेगा। आशा है, आप थोड़ा-सा धीरज रखेंगे।सादर--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] 21:53, 1 जनवरी 2010 (UTC) == नाम बदलते समय नाम में उपस्थित त्रुटियों को भी ठीक करते जाएँ == प्रिय धर्मेन्द्र जी , आशा है आप सकुशल है , कृपया नाम बदलते समय नाम में उपस्थित त्रुटियों को भी ठीक करते जाएँ , ज़्यादातर ये त्रुटियाँ अनावश्यक चन्द्र बिंदु के प्रयोग या उर्दू के शब्दों के गलत प्रयोग की हैं जैसे अभी रघुनाथ जी के कविता ’आग में ----------------- भातें में, तें में चन्द्र बिंदी का प्रयोग था जो कि गलत था, ऐसे ही अभी आपने सूरदास जी की भीख’एक रचना के नाम को बदला है जिसमें मैं, में बिंदी की जगह चन्द्र बिंदु का प्रयोग हैसाथ-साथ ठीक करते जाने से समय और मेहनत दोनों का सदुपयोग हो सकेगाकृपया छंद में कविता की श्रेणी देने से पहले एक बार इस विषय पर अनिल जी से चर्चा कर लेमेरे विचार से छंद जो की चार पंक्तियों का है वो कविता की श्रेणी में नहीं जाना चाहिए बाकि अनिल जी भाषा के विद्वान् है वही ज्यादा बेहतर बता सकते हैं सादर--[[सदस्य:Shrddha|Shrddha]] 08:33, 2 जनवरी 2010 (UTC) == नये अधिकार == प्रिय धर्मेंद्र,  [[कविता कोश टीम]] के आदेश पर आपको निम्नलिखित अधिकार प्रदान किये गए हैं: * पन्नों को डीलीट करना* चित्रों को री-अपलोड करना* पन्नों को सुरक्षित व असुरक्षित करना आशा है कि आप इन अधिकारों का समुचित प्रयोग करेंगे। आपको कविता कोश टीम ने सहयोगी सदस्य बनाया है इसके लिये आपको हार्दिक बधाई।  '''--[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] 08:49, 2 जनवरी 2010 (UTC)''' प्रिय धर्मेन्द्र जी! पन्ना असुरक्षित ’कविता’ श्रेणी में यद्यपि सभी कविताएँ आती हैं, लेकिन हमने कोश में ये श्रेणियाँ कुछ दूसरे ढंग से विभाजित की हुई हैं। अभी तक यह विभाजन का काम पूरा नहीं किया है। लेकिन अब आपकी सहायता से इस काम को कर दिया डालते हैं। अभी तक जो श्रणियाँ हैं, वे इस प्रकार हैं : <nowiki>{{KKCatNazm}}</nowiki><nowiki>{{KKCatKataa‎}}</nowiki><nowiki>{{KKCatKavita‎}}</nowiki><nowiki>{{KKCatGeet}}</nowiki><nowiki>{{KKCatGhazal‎}}‎</nowiki><nowiki>{{KKShayar}}</nowiki><nowiki>{{KKCatMahilaRachnakar}}</nowiki><nowiki>{{KKCatNavgeetkaar}}</nowiki><nowiki>{{KKCatNavgeet}}</nowiki>जल्दी ही दूसरी श्रणियाँ भी तय कर लेंगे। श्रद्धा, आप और मैं मिलकर इस काम को कर लेते हैं। इस बारे में आप भी सोचिए, मैं भी सोचता हूँ और श्रद्धा को भी कह देता हूँ। उसके बाद मिलकर तय कर लेंगे। दो सप्ताह का समय हमारे पास है।सादर--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] १७09:४५05, २१ नवम्बर २००९ 2 जनवरी 2010 (UTC) == KKGlobal == प्रिय धर्मेंन्द्र, आपने KKGlobal में जो बदलाव किया है वह ठीक है। लेकिन कृपया KKGlobal या उसमें इस्तेमाल की गयी अन्य टेम्प्लेट्स को ऐसी छोटी बातों के लिये ना बदलें। आपने ऐसा किया क्योंकि आपको जानकारी नहीं थी कि जब भी किसी टेम्प्लेट में बदलाव किया जाता है तो सर्वर उन सभी पन्नों को एक-एक करके बदलता है जिनमें वह टेम्प्लेट प्रयोग की गयी है। इसलिये अगर KKParichay में कोई बदलाव होगा तो तकरीबन 1100 पन्नें बदलें जाएंगे और यदि KKGlobal या उससे जड़ी कोई भी टेम्प्लेट बदली जाती है तो (इस समय) 26,000 से ज़्यादा पन्नों में बदलाव होंगे। इससे सर्वर पर फ़िज़ूल भार पड़ता है। 26,000 पन्नों को बदलने में सर्वर 10 से 20 घंटे का समय लेता है। KKGlobal एक अति महत्वपूर्ण टेम्प्लेट है। इसमें बदलाव बहुत सोच-समझ कर किये जाने चाहिये। कई बार मुझे इन टेम्प्लेट्स में फ़िज़ूल या बहुत छोटे बदलाव Save करने के लिये मजबूर होना पड़ता है क्योंकि उस समय मैं कोई experiment कर रहा होता हूँ और कई बार ऐसा होता है कि बिना Save किये उस प्रयोग के नतीज़े नहीं दिखाई देते। अन्यथा मैं किसी भी पन्नें को केवल तब Save करता हूँ जब मैं उसमें वो सभी बदलाव एक साथ कर लूं जो मैं करना चाहता हूँ। आशा है यह जानकारी लाभदायक सिद्ध हो्गी। '''--[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] 07:22, 4 जनवरी 2010 (UTC)''' ओह्ह मुझे लगा कि त्रुटि है दीख तो वर्तनी अशुद्धि में आएगा, दीख नहीं होता है दिख होता हैमगर आपने किताब में देखा है तो ज़रूर सही होगाशुक्रिया आपने इसे फिर से ठीक कर दियासादरश्रद्धा --[[सदस्य:Shrddha|Shrddha]] 14:31, 4 जनवरी 2010 (UTC)`aroma
219
edits