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"इन्तेज़मात नये सिरे से सम्भाले जायें / राहत इन्दौरी" के अवतरणों में अंतर
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− | जितने कमज़र्फ़ हैं | + | जितने कमज़र्फ़ हैं महफ़िल से निकाले जायें| |
− | मेरा घर आग की लपटों में छुपा | + | मेरा घर आग की लपटों में छुपा है लेकिन, |
जब मज़ा है तेरे आँगन में उजाले जायें| | जब मज़ा है तेरे आँगन में उजाले जायें| | ||
ग़म सलामत है तो पीते ही रहेंगे लेकिन, | ग़म सलामत है तो पीते ही रहेंगे लेकिन, | ||
− | + | पहले मैख़ाने की हालत सम्भाले जायें| | |
ख़ाली वक़्तों में कहीं बैठ के रोलें यारो, | ख़ाली वक़्तों में कहीं बैठ के रोलें यारो, | ||
− | फ़ुर्सतें हैं तो समन्दर ही | + | फ़ुर्सतें हैं तो समन्दर ही खगांले जायें| |
ख़ाक में यूँ न मिला ज़ब्त की तौहीन न कर, | ख़ाक में यूँ न मिला ज़ब्त की तौहीन न कर, |
10:39, 15 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
इन्तेज़मात नये सिरे से सम्भाले जायें|
जितने कमज़र्फ़ हैं महफ़िल से निकाले जायें|
मेरा घर आग की लपटों में छुपा है लेकिन,
जब मज़ा है तेरे आँगन में उजाले जायें|
ग़म सलामत है तो पीते ही रहेंगे लेकिन,
पहले मैख़ाने की हालत सम्भाले जायें|
ख़ाली वक़्तों में कहीं बैठ के रोलें यारो,
फ़ुर्सतें हैं तो समन्दर ही खगांले जायें|
ख़ाक में यूँ न मिला ज़ब्त की तौहीन न कर,
ये वो आँसू हैं जो दुनिया को बहा ले जायें|
हम भी प्यासे हैं ये एहसास तो हो साक़ी को,
ख़ाली शीशे ही हवाओं में उछाले जायें|
आओ शहर में नये दोस्त बनायें "राहत"
आस्तीनों में चलो साँप ही पाले जायें|