भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कारे बदरा तू न जा / शैलेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: ओ पंछी प्यारे सांझ सखा रे <br /> बोले तू कौन सी बोली बता रे <br /> मैं तो पं…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
04:49, 20 फ़रवरी 2010 का अवतरण
ओ पंछी प्यारे सांझ सखा रे
बोले तू कौन सी बोली बता रे
मैं तो पंछी पिंजरे की मैना
पँख मेरे बेकार
बीच हमारे सात रे सागर
कैसे चलूँ उस पार
ओ पंछी प्यारे ...
फागुन महीना फूली बगिया
आम झरे अमराई
मैं खिड़की से चुप चुप देखूँ
ऋतु बसंत की आई
ओ पंछी प्यारे ...