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मेरे ओ, | मेरे ओ, | ||
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आज मैं ने अपने हृदय से यह पूछा था | आज मैं ने अपने हृदय से यह पूछा था | ||
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क्या मैं तुम्हें प्यार करती हूँ | क्या मैं तुम्हें प्यार करती हूँ | ||
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प्रश्न ही विचित्र था | प्रश्न ही विचित्र था | ||
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हृदय को जाने कैसा लगा, उस ने भी पूछा | हृदय को जाने कैसा लगा, उस ने भी पूछा | ||
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भई, प्यार किसे कहते हैं | भई, प्यार किसे कहते हैं | ||
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बातों में उलझने से तत्त्व कहाँ मिलता है | बातों में उलझने से तत्त्व कहाँ मिलता है | ||
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मैं ने भरोसा दिया | मैं ने भरोसा दिया | ||
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मुझ पर विश्वास करो | मुझ पर विश्वास करो | ||
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बात नहीं फूटेगी | बात नहीं फूटेगी | ||
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बस अपनी कह डालो | बस अपनी कह डालो | ||
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मैं ने क्या देखा, आश्वासन बेकार रहा | मैं ने क्या देखा, आश्वासन बेकार रहा | ||
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हृदय कुछ नहीं बोला | हृदय कुछ नहीं बोला | ||
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मैं ने फिर समझाया | मैं ने फिर समझाया | ||
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कह डालो | कह डालो | ||
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कहने से जी हलका होता है | कहने से जी हलका होता है | ||
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मन भी खुल जाता है | मन भी खुल जाता है | ||
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हमदर्दी मिलती है | हमदर्दी मिलती है | ||
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फिर भी वह मौन रहा | फिर भी वह मौन रहा | ||
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मौन रहा | मौन रहा | ||
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मौन रहा | मौन रहा | ||
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मेरे ओ | मेरे ओ | ||
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और तुम्हें क्या लिखूँ | और तुम्हें क्या लिखूँ | ||
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04:54, 22 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
मेरे ओ,
आज मैं ने अपने हृदय से यह पूछा था
क्या मैं तुम्हें प्यार करती हूँ
प्रश्न ही विचित्र था
हृदय को जाने कैसा लगा, उस ने भी पूछा
भई, प्यार किसे कहते हैं
बातों में उलझने से तत्त्व कहाँ मिलता है
मैं ने भरोसा दिया
मुझ पर विश्वास करो
बात नहीं फूटेगी
बस अपनी कह डालो
मैं ने क्या देखा, आश्वासन बेकार रहा
हृदय कुछ नहीं बोला
मैं ने फिर समझाया
कह डालो
कहने से जी हलका होता है
मन भी खुल जाता है
हमदर्दी मिलती है
फिर भी वह मौन रहा
मौन रहा
मौन रहा
मेरे ओ
और तुम्हें क्या लिखूँ