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टूटा हृदय / त्रिलोचन

92 bytes added, 23:43, 21 फ़रवरी 2010
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|रचनाकार=त्रिलोचन
|संग्रह=चैती / त्रिलोचन
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कहीं से टूटा भी हृदय अपना नित्य अपना
 रहेगा. भूले भी पथ पर इसे छोड़ कर जो चलेगा, भोगेगा. क्षण क्षण कहानी अवश सी 
सुनाएगी गाथा, मुखर मुख होंगे सुरस से
</poem>
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