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तू पास हो तो नूर में ढलती है ज़िंदगी
होता नहीं नसीब दरख़्शाँ <ref>चमकना</ref> तेरे बग़ैर
क़िस्मत की तरह बादे-सबा <ref>सुबह की हवा</ref>भी उदास है
सामाने-रंगे-बू है परीशाँ तेरे बग़ैर
मेरी मेरा शऊर <ref>तरीका</ref> मेरी हक़ीक़त मेरा वजूद<ref> अस्तित्व</ref>कुछ भी महीं नहीं है शान के शायाँ <ref>अनुसार</ref> तेरे बग़ैर
दौरे-ख़िज़ाँ <ref>पतझड़</ref> है नाम तेरी ही जुदाई का
खिलता नहीं है रंगे-बहाराँ तेरे बग़ैर
तोड़ेगा कौन तल्ख़ी-ए-हयात <ref>परिस्थितियों की कड़वाहट</ref> की ये ज़िद
रोकेगा कौन गर्दिशे-दौराँ तेरे बग़ैर
ऐ ‘चाँद’ आ भी जा कि मेरी ज़िंदगी की रात
बनने लगी है इक शबे-ज़िन्दाँ <ref>निद्राविहीन रात्रि</ref> तेरे बग़ैर
</poem>
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