भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जोगी मैं तो लुट गयी तेरे प्यार में/ पंजाबी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
  <poem>जोगी मैं तो लुट गयी तेरे प्यार में
 
  <poem>जोगी मैं तो लुट गयी तेरे प्यार में
 
हाय तुझे इसकी  खबर कब होगी  
 
हाय तुझे इसकी  खबर कब होगी  
 +
 
बागे दे विच सपणी जे सुइए  
 
बागे दे विच सपणी जे सुइए  
 
ते कारदी ए मेनू मेनू  
 
ते कारदी ए मेनू मेनू  

14:23, 23 फ़रवरी 2010 का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

जोगी मैं तो लुट गयी तेरे प्यार में
हाय तुझे इसकी खबर कब होगी

बागे दे विच सपणी जे सुइए
ते कारदी ए मेनू मेनू
बच के निकलीं मेरेया माहिया
कि न लड़ जावे तैनू
लुट्टी हीर वे यरां दी

हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.
चलो सहियो चल वेखण चलिए
रांझे दा चौबारा

हीर विचारी इट्टा ढोवे
ते राँझा ढोवे गारा
लुट्टी हीर वे यरां दी
हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.


चलो सहियो चल वेखण चलिए
रांझे पाई हट्टी
हीर निमाणी कम करेंदी
हाय न होवे खट्टी
लुट्टी हीर वे यरां दी
हाल वे रब्बा मारी तेरियां गमां दी.

}}