{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=गुलज़ार]][[Category:कविताएँ]]|संग्रह = }}
[[Category:गज़ल]]
[[Category:गुलज़ार]]<poem>एक परवाज़ दिखाई दी है तेरी आवाज़ सुनाई दी है
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~जिस की आँखों में कटी थी सदियाँ उस ने सदियों की जुदाई दी है
सिर्फ़ एक परवाज़ दिखाई दी है <br>सफ़ाह पलट कर उस ने तेरी आवाज़ सुनाई बीती बातों की सफ़ाई दी है<br><br>
जिस की आँखों में कटी थी सदियाँ <br>फिर वहीं लौट के जाना होगा उस यार ने सदियों की जुदाई कैसी रिहाई दी है <br><br>
सिर्फ़ एक सफ़ाह पलट कर उस ने <br>बीती बातों की सफ़ाई दी है <br><br> फिर वहीं लौट के जाना होगा <br>यार ने कैसी रिहाई दी है <br><br> आग ने क्या क्या जलाया है शव पर <br>शब भर कितनी ख़ुश-रंग दिखाई दी है <br><br/poem>