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चराग़े-दिल / देवी नांगरानी

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|रचनाकार=देवी नांगरानी
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{{KKPustak
|चित्र= CharagCharage-e-dilDil.JPGjpg
|नाम=चराग़े-दिल
|रचनाकार=[[देवी नांगरानी]]
|प्रकाशक= सरला प्रकाशन,1586/1 ई नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032 |वर्ष= 2007
|भाषा=हिन्दी
|विषय=
|शैली=--ग़ज़ल|पृष्ठ=--144|ISBN=81-88911-36-4
|विविध=--
}}
* [[दीवारो-दर थे, छत थी वो अच्छा मकान था / देवी नांगरानी]]
* [[देखकर मौसमों का असर रो दिए / देवी नांगरानी]]
* [[सर पटकते हैं आशियानों उड़ गए बालो-पर उड़ानों में / देवी नांगरानी]]
* [[आंधियों के भी पर कतरते हैं / देवी नांगरानी]]
* [[ताज़गी कुछ नही हवाओं में / देवी नांगरानी]]
* [[या बहारों का ही ये मौसम नहीं / देवी नांगरानी]]
* [[डर उसे फिर न रात का होगा / देवी नांगरानी]]
* [[उड़ गए बालो-पर उड़ानों में / देवी नांगरानी]]
* [[आज हम धूप खाने आए हैं / देवी नागरानी]]
* [[लबों पर गिले यूं भी आते रहे हैं / देवी नागरानी]]
* [[तर्क कर के दोस्ती फिरता है क्यों? / देवी नागरानी]]
* [[कितने आफ़ात से लड़ी हूँ मैं / देवी नागरानी]]
* [[सर पटकते हैं आशियानों में / देवी नांगरानी]]
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