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"ग़म का वो ज़ोर अब मेरे और नहीं रहा / मुनीर नियाज़ी" के अवतरणों में अंतर
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− | वो हुस्न-ए-नौबहार अबद शौक़ जिस्म सुन | + | वो हुस्न-ए-नौबहार अबद शौक़ जिस्म सुन |
− | रहना था उस को साथ मेरे पर नहीं रहा | + | रहना था उस को साथ मेरे पर नहीं रहा |
− | मुझ में ही कुछ कमी थी कि बेहतर मैं उन से था | + | मुझ में ही कुछ कमी थी कि बेहतर मैं उन से था |
− | मैं शहर में किसी के बराबर नहीं रहा | + | मैं शहर में किसी के बराबर नहीं रहा |
− | रहबर को उन के हाल की हो किस तरह ख़बर | + | रहबर को उन के हाल की हो किस तरह ख़बर |
− | लोगों के | + | लोगों के दरमियां वो आकर नहीं रहा |
− | वापस न जा वहाँ कि तेरे शहर में 'मुनिर' | + | वापस न जा वहाँ कि तेरे शहर में 'मुनिर' |
− | जो जिस जगह पे था वो वहाँ पर नहीं रहा | + | जो जिस जगह पे था वो वहाँ पर नहीं रहा |
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09:50, 25 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
ग़म का वो ज़ोर अब मेरे अँदर नहीं रहा
इस उम्र में मैं इतना समर्वर नहीं रहा
इस घर में जो कशिश थी गई उन दिनों के साथ
इस घर का साया अब मेरे सर पर नहीं रहा
वो हुस्न-ए-नौबहार अबद शौक़ जिस्म सुन
रहना था उस को साथ मेरे पर नहीं रहा
मुझ में ही कुछ कमी थी कि बेहतर मैं उन से था
मैं शहर में किसी के बराबर नहीं रहा
रहबर को उन के हाल की हो किस तरह ख़बर
लोगों के दरमियां वो आकर नहीं रहा
वापस न जा वहाँ कि तेरे शहर में 'मुनिर'
जो जिस जगह पे था वो वहाँ पर नहीं रहा