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"कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया / ग़ालिब" के अवतरणों में अंतर

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कहते हो न देंगे हम दिल अगर पड़ा पाया<br>
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<poem>कहते हो, न देंगे हम, दिल अगर पड़ा पाया
दिल कहाँ कि गुम कीजे हमने मुद्दआ पाया<br><br>
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दिल कहां कि गुम कीजे? हमने मुद्दआ़ पाया
  
इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त का मज़ा पाया<br>
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इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त<ref>जिंदगी</ref> का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई दर्द-ए-बेदवा पाया<br><br>
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दर्द की दवा पाई, दर्द बे-दवा पाया
  
दोस्तदार-ए-दुश्मन है एतिमाद-ए-दिल मालूम<br>
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दोस्त दारे-दुश्मन<ref>दुश्मन का दोस्त</ref> है, एतमादे-दिल<ref>दिल का विश्वास</ref> मालूम
आह बेअसर देखी नाला नारसा पाया<br><br>
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आह बेअसर देखी, नाला<ref>रुदन</ref> नारसा<ref>ना पहुँचनेवाला</ref> पाया
  
सादगी-ओ-पुरकारी बेख़ुदी-ओ-होशियारी<br>
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सादगी पुरकारी<ref>चालाकी</ref> बेख़ुदी व हुशियारी
हुस्न को तग़ाफ़ुल में जुरअत आज़मा पाया<br><br>
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हुस्न को तग़ाफ़ुल<ref>उदासीनता</ref> में जुरअत-आज़मा पाया
  
ग़ुन्चा फिर लगा खिलने आज हम ने अपना दिल<br>
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ग़ुञ्चा फिर लगा खिलने, आज हम ने अपना दिल  
ख़ूँ किया हुआ देखा गुम किया हुआ पाया<br><br>
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खूं किया हुआ देखा, गुम किया हुआ पाया
  
हाल-ए-दिल नहीं मालूम लेकिन इस क़दर यानी<br>
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हाल-ए-दिल नहीं मालूम, लेकिन इस क़दर -- यानी
हम ने बारहा ढुँढा तुम ने बारहा पाया<br><br>
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हम ने बारहा<ref>बार बार</ref> ढूंढा, तुम ने बारहा पाया
  
शोर-ए-पन्द-ए-नासेह ने ज़ख़्म पर नमक छिड़का<br>
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शोर पन्दे-नासेह<ref>उपदेशक के उपदेश का शोर</ref> ने ज़ख़्म पर नमक छिड़का
आप से कोई पूछे तुम ने क्या मज़ा पाया<br><br>
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आप से कोई पूछे, तुम ने क्या मज़ा पाया</poem>
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05:08, 27 फ़रवरी 2010 का अवतरण

कहते हो, न देंगे हम, दिल अगर पड़ा पाया
दिल कहां कि गुम कीजे? हमने मुद्दआ़ पाया

इश्क़ से तबीअत ने ज़ीस्त<ref>जिंदगी</ref> का मज़ा पाया
दर्द की दवा पाई, दर्द बे-दवा पाया

दोस्त दारे-दुश्मन<ref>दुश्मन का दोस्त</ref> है, एतमादे-दिल<ref>दिल का विश्वास</ref> मालूम
आह बेअसर देखी, नाला<ref>रुदन</ref> नारसा<ref>ना पहुँचनेवाला</ref> पाया

सादगी व पुरकारी<ref>चालाकी</ref> बेख़ुदी व हुशियारी
हुस्न को तग़ाफ़ुल<ref>उदासीनता</ref> में जुरअत-आज़मा पाया

ग़ुञ्चा फिर लगा खिलने, आज हम ने अपना दिल
खूं किया हुआ देखा, गुम किया हुआ पाया

हाल-ए-दिल नहीं मालूम, लेकिन इस क़दर -- यानी
हम ने बारहा<ref>बार बार</ref> ढूंढा, तुम ने बारहा पाया

शोर पन्दे-नासेह<ref>उपदेशक के उपदेश का शोर</ref> ने ज़ख़्म पर नमक छिड़का
आप से कोई पूछे, तुम ने क्या मज़ा पाया

शब्दार्थ
<references/>