{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=कुमार सुरेश}}{{KKCatKavita}}<poem>रचना यहाँ टाइप करें</poem>== अनायास ही
हम अनचाहा गर्भ नहीं थे
हत्या कर नाली में बहाया नहीं गया
हम इस बक्त भी वहा कही नहीं है
जीवन हर हार रहा है जहा जहाँ म्रत्यु से
फिलवक्त इस जगह पर
हम इतने यह और उतने वह
इतना बनाया और इकठ्ठा किया
क्योकि अनायास ही जहा जहाँ मौजूद थे
वह सही वक्त और सही जगह थी
गलत वक्त गलत जगह पर कभी नहीं थे हम</poem>