गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
औरत की ज़िन्दगी / रघुवीर सहाय
28 bytes added
,
18:47, 7 मार्च 2010
|रचनाकार =रघुवीर सहाय
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कई कोठरियाँ थीं कतार में
उनमें किसी में एक औरत ले जाई गई
थोड़ी देर बाद उसका रोना सुनाई दिया
उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथा
उसके बचपन से जवानी तक की कथा
</poem>
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,669
edits