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"नई पीढ़ी / रघुवीर सहाय" के अवतरणों में अंतर

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इस नई पीढ़ी को ऐसे ही स्वाधीन छोड़ दें.
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01:00, 8 मार्च 2010 के समय का अवतरण

एक नौजवान और उससे छोटी एक छोकरी
हर रोज़ मिलते हैं
चकर चकर बोलती रहती है लड़की
पुलिया पर बैठे लड़के को छेड़ती

वह सोच में पड़ा बैठा रह जाता है
दोनों में एक भी तत्काल कुछ नहीं मांगता
न तो वफ़ादारी का वायदा, न बड़ी नौकरी समाज से
वे एक क्षण के आवेग में सिमट रहते हैं

यह नई पीढ़ी है
भावुकता से परे व्यावहारिकता से अनुशासित
इस नई पीढ़ी को ऐसे ही स्वाधीन छोड़ दें।