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"कुफ़्र / अमृता प्रीतम" के अवतरणों में अंतर

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आज हमने एक दुनिया बेची
 
आज हमने एक दुनिया बेची
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आज हमने आसमान के घड़े से
 
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बादल का एक ढकना उतारा
 
बादल का एक ढकना उतारा
और एक घूंट चाँदनी पी ली
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यह जो एक घड़ी हमने
 
यह जो एक घड़ी हमने

02:54, 8 मार्च 2010 के समय का अवतरण

आज हमने एक दुनिया बेची
और एक दीन ख़रीद लिया
हमने कुफ़्र की बात की

सपनों का एक थान बुना था
एक गज़ कपड़ा फाड़ लिया
और उम्र की चोली सी ली

आज हमने आसमान के घड़े से
बादल का एक ढकना उतारा
और एक घूँट चाँदनी पी ली

यह जो एक घड़ी हमने
मौत से उधार ली है
गीतों से इसका दाम चुका देंगे