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मेरा पता / अमृता प्रीतम
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21:25, 7 मार्च 2010
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}}
[[Category:पंजाबी भाषा]]
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<poem>
आज मैंने
और जहाँ भी
आज़ाद रूह की झलक पड़े
:—
समझने
समझना
वह मेरा घर है।
</poem>
अनिल जनविजय
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