{{KKGlobal}}{{KKFilmSongCategories|वर्ग=देश भक्ति गीत}}{{KKFilmRachna|रचनाकार= बिस्मिल अज़ीमाबादी}}<poem>सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है जोर कितना बाजुए बाजू-ए-कातिल में है ।
करता नहीं क्यों दुसरा दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफिल मैं है ।
रहबर राहे मौहब्बत रह न जाना राह मेंलज्जत-ऐ-सेहरा नवर्दी दूरिये-मंजिल में है । यों खड़ा मौकतल मक़्तल में कातिल कह रहा है बार-बार
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है ।
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है ।
खींच कर लाई है सब को कत्ल होने की उम्मींदउम्मीद,आशिकों का जमघट आज कूंचेजमघट कूचा-ऐ-कातिल में है ।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए बाजू-ए-कातिल में है ।
</poem>