भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आखिरी ख्वाहिश / हरभजन सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(Sandeep Sethi (वार्ता) के अवतरण 76686 को पूर्ववत किया)
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
(कोई अंतर नहीं)

00:20, 23 मार्च 2010 के समय का अवतरण

आखिरी ख्‍वाहिश बस इतनी है
मेरे मरने की खबर
तुम खुद उस दोस्‍त तक पहुंचाना
जिससे तुम बरसों से रूठे हुए हो।
तुम्‍हारी दस्‍तक सुनकर दरवाजा
फटाक से न खुले
तो वापस न चले आना,
दरवाजा खुलने का इंतजार करना।
वह यदि तुम्‍हें देखकर
दरवाजे पर खड़ा हो जाए
बुत की तरह
तो भी वापस न आना,
बोलने की कोशिश करना।
अगर मेरी बात न कही जा सके तुमसे
तो सिर्फ मेरा नाम लेकर
उसके गले लग जाना,
आंसू बह जाएं तो बहने देना,
बाकी वह खुद समझ जाएगा।
उसको मालूम है,
इस तरह की ख्‍वाहिश
केवल मैं ही कर सकता हूं।