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"बिन्दु / भूपेन हजारिका" के अवतरणों में अंतर

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निंदिया बिन रैना -
 
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कोमल चांद पिघला
 
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मुंह अंधेरे ओस की बूंदें उतरी
 
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मेघ को चीरते हुए राजहंस
 
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सूरज के सातों
 
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घोड़ों की मंथर गति की आवाज
 
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मेरी चेतना में प्रवेश करते हैं
 
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सीने का स्पर्श करता है
 
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एक नया गहरा सागर
 
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लहर विहीन
 
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जिसकी एक बिन्दु
 
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हौले से लटक रही है
 
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मेरे आंगन में
 
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झड़े हुए
 
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रातरानी की सफेद पंखुड़ी पर
 
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शायद शरत आ गया
 
शायद शरत आ गया
 
 
एक गुप्तांग
 
एक गुप्तांग
 
 
दो स्तन
 
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कुछ अल्टरनेट सेक्स
 
कुछ अल्टरनेट सेक्स
 
 
छिप न सके, इसके लिए
 
छिप न सके, इसके लिए
 
 
डिजाइनर की तमाम कोशिश
 
डिजाइनर की तमाम कोशिश
 
 
हर आदमी एक द्वीप की तरह
 
हर आदमी एक द्वीप की तरह
 
 
एके फोर्टी सेवन जिन्दाबाद
 
एके फोर्टी सेवन जिन्दाबाद
 
 
आदिम छन्द हेड हंटर का।
 
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जीवन जाए
 
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जड़हीन शून्यता में।
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मुमकिन हो तो टिकट कटा लें
 
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मंगल ग्रह पर जाने के लिए
 
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मनुष्य की खोज में
 
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01:57, 26 मार्च 2010 के समय का अवतरण

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»  बिन्दु

निंदिया बिन रैना -
कोमल चांद पिघला
मुंह अंधेरे ओस की बूंदें उतरी
मेघ को चीरते हुए राजहंस
सूरज के सातों
घोड़ों की मंथर गति की आवाज
मेरी चेतना में प्रवेश करते हैं
सीने का स्पर्श करता है
एक नया गहरा सागर
लहर विहीन
जिसकी एक बिन्दु
हौले से लटक रही है
मेरे आंगन में
झड़े हुए
रातरानी की सफेद पंखुड़ी पर
शायद शरत आ गया
एक गुप्तांग
दो स्तन
कुछ अल्टरनेट सेक्स
छिप न सके, इसके लिए
डिजाइनर की तमाम कोशिश
हर आदमी एक द्वीप की तरह
एके फोर्टी सेवन जिन्दाबाद
आदिम छन्द हेड हंटर का।

बैलून/मूल्यबोध/उपभोक्तावाद

जीवन जाए
जड़हीन शून्यता में।
मुमकिन हो तो टिकट कटा लें
मंगल ग्रह पर जाने के लिए
मनुष्य की खोज में
मनुष्य की खोज में