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{{KKRachna
|रचनाकार=ग़ालिब
|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
इशरत-ए-क़तरा<ref>बूंद का ऐश्वर्य</ref> है दरिया में फ़ना<ref>विलीन</ref> हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
तुझसे क़िस्मत में मेरी सूरत-ए-कुफ़्ल-ए-अबजद<ref>ताले के सदृश</ref>
था लिखा बात के बनते ही जुदा हो जाना
इशरते कतरा है दरिया में फ़ना हो जानादिल हुआ कशमकशे-चारा-ए-ज़हमत<brref>दुःख के उपचार की चेष्टा</ref> में तमामदर्द मिट गया घिसने में इस उक़्दे<ref>गाँठ</ref> का हद से गुजरना है, दवा वा हो जाना<brref>खुलना<br/ref>
तुझसे है किस्मत में मेरी सूरतअब ज़फ़ा से भी हैं महरूम<ref>वंचित</ref> हम, अल्लाह-अल्लाह!इस क़दर दुश्मन-ए-कुफ़्लअरबाब-ए-अब्जदवफ़ा<brref>था लिखा बात के बनते ही जुदा हो जानाचाहनेवालों का शत्रु<br><br/ref>हो जाना
दिल हुआ कशमकश चराए जहमत में तमामज़ोफ़<brref>निर्बलता</ref> से गिरियां<ref>रुदन</ref> मुबदृल<ref>परिणत</ref> व-दमे-सर्द<ref>ठंडी आह</ref> हुआमिट गया घिसने में इस उक्दे का वा हो जानाबावर<brref>यकीन<br/ref>आया हमें पानी का हवा हो जाना
अब ज़फ़ा दिल से भी हैं महरूम हम अल्लाह अल्लाहमिटना तेरी अन्गुश्ते-हिनाई<brref>मेंहदी-लगी अंगुली</ref> का ख्यालइस कदर दुश्मन-ए-अरबाब-ए-वफ़ा हो गया गोश्त से नाख़ुन का जुदा हो जाना<br><br>
ज़ोफ़ से गिरिया मुबादिल बाह दम सर्द हवाहै मुझे अब्र-ए-बहारी<brref>बरसाती बादल</ref> का बरस कर खुलनाबावर आया हमें पानी का हवा रोते-रोते ग़म-ए-फ़ुरकत में फ़ना हो जाना<br><br>
दिल से मिटना तेरी अन्गुश्त हिनाई का ख्यालगर नहीं नकहत-ए-गुल<brref>पुष्प-सौरभ</ref> को तेरे कूचे की हवसहो गया गोश्त से नाखून का जुदा हो जानाक्यों है गर्द-ए-रह-ए-जौलाने-सबा<brref>चमन की वायु के मार्ग की धूल<br/ref>हो जाना
है मुझे अब्रताकि मुझ पर खुले ऐजाज़े-हवाए-बहारी सैक़ल<ref>क़लई की वायु का बरस कर खुलनारहस्य<br/ref>रोते-रोते ग़म-ए-फ़ुरकत देख बरसात में फ़ना सब्ज़ आईने का हो जाना<br><br>
गर नहीं निकहतबख्शे है जलवा-ए-गुल को तेरे कूचे की हवसज़ौक<brref>क्यों है गर्द-ए-राह-ए-जोलने सबा हो जानाआनंद<br/ref><br> बख्शे हैं जलवे गुल जोश-ए-तमाशा , गालिबचश्म<brref>आँख</ref>चश्म को चाहिये चाहिए हर रंग में वा <ref>खुलना</ref> हो जाना<br><br/poem>{{KKMeaning}}
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