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"वो नज़र में नज़ारा नहीं है / द्विजेन्द्र 'द्विज'" के अवतरणों में अंतर
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नाख़ुदाओं की है मेहरबानी | नाख़ुदाओं की है मेहरबानी | ||
− | + | कश्तियों को किनारा है | |
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07:36, 20 अप्रैल 2010 का अवतरण
वो नज़र में नज़ारा नहीं है
और कोई तमन्ना नहीं है
बात कहता है अपनी वो लेकिन उसमें सुनने का माद्दा नहीं है
सच बयाँ तुम करोगे भला क्या तुमने कुछ भी तो देखा नहीं है
ज़िन्दगी है सफ़र धूप का भी बरगदों का ही साया नहीं है
शेर कहता हूँ वरना समन्दर क़ूज़े मे यूँ सिमटता नहीं है
नाख़ुदाओं की है मेहरबानी कश्तियों को किनारा है