{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=सूर्य से सूर्य तक / अवतार एनगिल; तीन डग कविता / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>पिता :
क्या कहा,
आप मुझे नहीं जानते?
पहले हर पेड़ एक बेटा था
अब हर बेटा एक पेड़ है
बडंबड़-सा, जड़ ।
मुझ-सा सुखी कौन है
पुराने घर की परछत्तियों पर
चमगादड़ों से उल्टे लटके
और दिन को रात महसूस करवाते हैं
उस त्रिशंकु-युग को जीने की निसबत
टूटना कहीं बेहतर था ।
तीन भाइयों में एक
अनजाना
अनचाहामंझला
आदर के लिए बड़ा
स्नेह के लिए छोटा
एक थी धुनाई
एक थी पिटाई
तात रात जब आई
मैं भाग खड़ा हुआ
छोड़ा ऊना
पहुँचा पूना
छोटा-छोटा मोटा व्यापार किया
कुछ कमाया
कुछ खाया
और मां के सामने
उसकी छोटी बहू को पेश कर कहूंगा :
'जी भर कर गालियां दें दे लो माँ ।
</poem>