|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>रचजब जब उन गलीज़ बौनों ने
अनेक कद्दावर यात्रियों की हत्या कर दी
तब सिन्दबाद को अहसास हुआ
न उलझने का उसका निर्णय
कितना सही था।
लड़ना ही पड़ा तो लड़ेगा,
धधकती आँख वाले
भूख के उस विराट राक्षस को
जिसके आबनूस की जादुई लकड़ी से बने द्वारा द्वार वाले
महल के आंगन में
हर रोज़ जलता है---एक अलाव
और अलाव के पास रखी हैं
आदमी के दुःखों की सी छड़ें अनेकजिनपर पिरोकर वह हर रोज़
आदमजात को भूनता है
और भूनकर खा जाता है