|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
{{KKCatKavita}}<poem>कांच,कंकरीट और कंचन की इस लंका में
चलते हुए
लंका-दहन का सत्य भी याद रखना
चलने
और चलने वाले पथिक
अशो अशोक के पेड़ों तले पहुंचते ही
तुम अ-शोक हो जाना
ज़रूर मुस्कुराना
हृदय में दहकती सच्चाई
ये हे पथिक !
पथिक हे !
उसी धधकते सत्य को