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"आकाश की तरफ़ / विनोद कुमार शुक्ल" के अवतरणों में अंतर

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आकाश की तरफ़
 
आकाश की तरफ़

00:55, 28 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण

आकाश की तरफ़
अपनी चाबियों का गुच्छा उछाला
तो देखा
आकाश खुल गया है
ज़रूर आकाश में
मेरी कोई चाबी लगती है!
शायद मेरी संदूक की चाबी!!

खुले आकाश में
बहुत ऊँचे
पाँच बममारक जहाज
दिखे और छुप गए
अपनी खाली संदूक में
दिख गए दो-चार तिलचट्टे
संदूक उलटाने से भी नहीं गिरते!