Changes

औरत की ज़िन्दगी / रघुवीर सहाय

138 bytes added, 15:10, 30 अप्रैल 2010
{{KKRachna
|रचनाकार =रघुवीर सहाय
|संग्रह =हँसो हँसो जल्दी हँसो / रघुवीर सहाय
}}
{{KKCatKavita‎}}<poem>
कई कोठरियाँ थीं कतार में
 
उनमें किसी में एक औरत ले जाई गई
 
थोड़ी देर बाद उसका रोना सुनाई दिया
 
उसी रोने से हमें जाननी थी एक पूरी कथा
 
उसके बचपन से जवानी तक की कथा
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,664
edits