Changes

<Poem>
फूलों की आत्‍मा में बसी
खुशबू ख़ुशबू की तरह
जीना है
अभी बहुत-बहुत बरस
जल में 'छपाक' से
हंसना हँसना है बार-बार
चुकाना है
बरसों से बकाया
पिछले दुःखों दुखों का ऋण
पोंछना है
पृथ्‍वी के चेहरे से
अंधेरे अँधेरे का रंगरँग
पानी की आंखों आँखों में
पूरब का गुलाबी सपना बनकर
उगना है
अभी बहुत-बहुत बरस.बरस।</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,118
edits