गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
खिड़की से / सुमित्रानंदन पंत
3 bytes added
,
10:27, 4 मई 2010
"[[खिड़की से / सुमित्रानंदन पंत]]" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))
क्षुद्र आत्म-पर भूल, भूत सब हुए समन्वित,
तण
तृण
, तरु से तारालि--सत्य है एक अखंडित!
मानव ही क्यों इस असीम समता से वंचित?
ज्योति भीत, युग युग से तमस विमूढ़, विभाजित!!
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,395
edits