गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
याद / सुमित्रानंदन पंत
3 bytes added
,
12:12, 4 मई 2010
मेरे एकाकी आँगन में मौन मधुर स्मृतियाँ भर!
वह केसरी दुकूल अभी भी फहरा रहा क्षितिज पर,
नव
असाढ
असाढ़
के मेघों से घिर रहा बराबर अंबर!
मैं बरामदे में लेटा, शैय्या पर, पीड़ित अवयव,
Dkspoet
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,393
edits