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"माया / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर
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नींद में मुझे लगा कि ज्यूँ आवाज़ दी किसी ने | नींद में मुझे लगा कि ज्यूँ आवाज़ दी किसी ने | ||
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मैं चौंक कर उठ बैठा और आँख खोल दी मैंने | मैं चौंक कर उठ बैठा और आँख खोल दी मैंने | ||
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चकाचौंध रोशनी फैली थी औ' कमरा था गतिमान | चकाचौंध रोशनी फैली थी औ' कमरा था गतिमान | ||
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मैं उड़ रहा था महाशून्य में जैसे कोई नभयान | मैं उड़ रहा था महाशून्य में जैसे कोई नभयान | ||
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मैं तैर रहा था वायुसागर में अदृश्य औ' अविराम | मैं तैर रहा था वायुसागर में अदृश्य औ' अविराम | ||
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आसपास नहीं था मेरे तब एक भी इन्सान | आसपास नहीं था मेरे तब एक भी इन्सान | ||
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किसकी यह आवाज़ थी, किसने मुझे बुलाया | किसकी यह आवाज़ थी, किसने मुझे बुलाया | ||
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इतनी गहरी नींद से, भला, किसने मुझे जगाया | इतनी गहरी नींद से, भला, किसने मुझे जगाया | ||
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क्या सचमुच में घटा था कुछ या सपना कोई आया | क्या सचमुच में घटा था कुछ या सपना कोई आया | ||
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कैसी अनुभूति थी यह, कवि, कैसी थी यह माया ? | कैसी अनुभूति थी यह, कवि, कैसी थी यह माया ? | ||
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21:59, 7 मई 2010 के समय का अवतरण
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नींद में मुझे लगा कि ज्यूँ आवाज़ दी किसी ने
मैं चौंक कर उठ बैठा और आँख खोल दी मैंने
चकाचौंध रोशनी फैली थी औ' कमरा था गतिमान
मैं उड़ रहा था महाशून्य में जैसे कोई नभयान
मैं तैर रहा था वायुसागर में अदृश्य औ' अविराम
आसपास नहीं था मेरे तब एक भी इन्सान
किसकी यह आवाज़ थी, किसने मुझे बुलाया
इतनी गहरी नींद से, भला, किसने मुझे जगाया
क्या सचमुच में घटा था कुछ या सपना कोई आया
कैसी अनुभूति थी यह, कवि, कैसी थी यह माया ?