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"मेरे जाने के बाद / रामदरश मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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कुछ कविता, कुछ कहानियाँ, कुछ विचार
 
कुछ कविता, कुछ कहानियाँ, कुछ विचार
 
जिनमें होंगे
 
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कुछ प्यार के फूल
 
कुछ प्यार के फूल
कुछ तुम्हारे उसके दर्द की कथाएं
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कुछ तुम्हारे उसके दर्द की कथाएँ
कुछ समय – चिंताएं
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कुछ समय – चिंताएँ
  
 
मेरे जाने के बाद ये मेरे नहीं होंगे
 
मेरे जाने के बाद ये मेरे नहीं होंगे
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मेरा क्या….
 
मेरा क्या….
भर्त्सना हो या जय जयकार
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भर्त्सना हो या जय-जयकार
कोई मुझतक नहीं पहुचेगी॥
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कोई मुझ तक नहीं पहुँचेगी॥
 
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10:16, 14 मई 2010 के समय का अवतरण

छोड़ जाऊँगा
कुछ कविता, कुछ कहानियाँ, कुछ विचार
जिनमें होंगे
कुछ प्यार के फूल
कुछ तुम्हारे उसके दर्द की कथाएँ
कुछ समय – चिंताएँ

मेरे जाने के बाद ये मेरे नहीं होंगे
मै कहाँ जाऊँगा, किधर जाऊँगा
लौटकर आऊँगा कि नहीं
कुछ पता नहीं
लौटकर आया भी तो
न मै इन्हे पहचानूँगा, न ये मुझे
तुम नम्र होकर इनके पास जाओगे
इनसे बोलोगे, बतियाओगे
तो तुम्हे लगेगा, ये सब तुम्हारे ही हैं
तुम्ही मे धीरे धीरे उतर रहे हैं
और तुम्हारे अनजाने ही तुम्हे
भीतर से भर रहे हैं।

मेरा क्या….
भर्त्सना हो या जय-जयकार
कोई मुझ तक नहीं पहुँचेगी॥