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उर्मिला यह कह तनिक चुप हो रही;
तब कहा सौमित्रि ने कि "यही सही।
तुम रहो मेरी हॄदयहृदय-देवी सदा;
मैं तुम्हारा हूँ प्रणय-सेवी सदा।"
:फिर कहा--"वरदान भी दोगी मुझे?
:"बस तुम्हें पाकर अभी सीखा यही!"
:बात यह सौमित्रि ने सस्मित कही।
:"देख लूँगी “देख लूँगी” उर्मिला ने भी कहा।
:विविध विध फिर भी विनोदामृत बहा।
:हार जाते पति कभी, पत्नी कभी;
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