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कवि: [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल]][[Category:कविताएँ]][[category:गज़ल]]}}[[Category:गुलाब खंडेलवालगीत]] ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~<poem>
जीवन तुझे समर्पित किया
जो कुछ-भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
जो कुछ भी लाया पग-पग पर फूलों का डेराघेरे था तेरे चरणों रंगों का घेरापर धर दियामैं तो केवल बस तेरा-तेरा होकर जिया
सिर पर बोझ लिये भी दुर्वह
मैं चलता ही आया अहरह
मिला गरल भी तुझसे तो वह
अमृत मान कर पिया
पग पग पर फूलों का डेरा, घेरे था रंगों का घेरा पर मै तो केवल बस तेरा, तेरा होकर जिया  सिर पर बोझ लिये भी दुर्वह, मैं चलता ही आया अहरह मिला गरल भी तुझसे तो वह, अमृत मान कर पिया  जग ने रत्नकोष है लूटा, मिला तंबूरा तँबूरा मुझको टूटा  उसपर भी उस पर ही, जब भी स्वर फूटा, मैने मैंने कुछ गा लिया  
जीवन तुझे समर्पित किया
 
जो कुछ भी लाया था तेरे चरणों पर धर दिया
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