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"बंधु, चाहता काल / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर
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22:51, 22 मई 2010 के समय का अवतरण
बंधु, चाहता काल
तोड़ दे हमें, छोड़ कंकाल!
यही दैव की चाल,
जगत स्वप्नों का स्वर्णिम जाल!
जब तक सुरा रसाल
काल भी मोहित : साक़ी, ढाल,
ढाल सुरा की ज्वाल,
मृत्यु भी पी, जी उठे निहाल!