भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आजीवन / लाल्टू" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |संग्रह= }}<poem> १ फिर मिले फिर किया वादा फिर ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=लाल्टू | |रचनाकार=लाल्टू | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
− | }}<poem> | + | }} |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
+ | '''1.''' | ||
+ | |||
फिर मिले | फिर मिले | ||
फिर किया वादा | फिर किया वादा | ||
फिर मिलेंगे। | फिर मिलेंगे। | ||
− | + | ||
+ | '''2.''' | ||
+ | |||
बहुत दूर | बहुत दूर | ||
इतनी दूर से नहीं कह सकते | इतनी दूर से नहीं कह सकते | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 24: | ||
वह दूरी | वह दूरी | ||
सही सही जिसमें कही जाएँगी बातें | सही सही जिसमें कही जाएँगी बातें | ||
+ | </poem> |
12:37, 24 मई 2010 के समय का अवतरण
1.
फिर मिले
फिर किया वादा
फिर मिलेंगे।
2.
बहुत दूर
इतनी दूर से नहीं कह सकते
जो कुछ भी कहना चाहिए
होते करीब तो कहते वह सब
जो नहीं कहना चाहिए
आजीवन ढूंढते रहेंगे
वह दूरी
सही सही जिसमें कही जाएँगी बातें