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"औरत / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर
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इस देश की | इस देश की |
20:38, 26 मई 2010 के समय का अवतरण
झाडू लगाते-लगाते
एक जीती-जागती औरत
झाड़ू में बदल जाती है
धीरे-धीरे
इस देश की
एक समूची औरत
तिनका-तिनका बिखर जाती है
रचनाकाल : 1987