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जहाँ तेरा नक़्शे क़दम / ग़ालिब का नाम बदलकर जहां तेरा नक़्शे-क़दम / ग़ालिब कर दिया गया है: title was misspelt
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|रचनाकार=ग़ालिब|संग्रह= दीवाने-ग़ालिब / ग़ालिब}}
[[Category:ग़ज़ल]]
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जहां तेरा नक़्श-एनक़्शे-क़दम<ref>पदचिन्ह</ref> देखते हैं
ख़ियाबां-ख़ियाबां<ref>क्यारी-क्यारी</ref> इरम<ref>स्वर्ग</ref> देखते हैं
दिल-आशुफ़्तगां<ref>परेशान-हाल</ref> ख़ालख़ाले-ए कुंज-एकुंजे-दहन<ref>अधर के कोने का तिल</ref> केसुवैदा<ref>दिल का दाग़</ref> में सैर-एसैरे-अ़दम<ref>अनस्तित्व का तमाशा</ref> देखते हैं
तेरे सर्व-एसर्वे-क़ामत<ref>सर्व के पेड़ जैसा लंबा कद</ref> से इक क़द्द-एक़द्दे-आदम<ref>मनुष्य के क़द जितना</ref>क़यामत के फ़ित्ने <ref>उपद्रव</ref> को कम देखते हैं
तमाशा कर ऐ महव-एमहवे-आईनादारी<ref>आईना देखने में मस्त</ref>
तुझे किस तमन्ना से हम देखते हैं
सुराग़सुराग़े-ए-तुफ़-एतुफ़े-नाला<ref>आह की गर्मी का पता</ref> ले दाग़दाग़े-दिल सेकि शब-रौ<ref>रात का राही</ref> का नक़्श-एनक़्शे-क़दम देखते हैं
बनाकर बना कर फ़क़ीरों का हम भेस ग़ालिबतमाशा-ए-अहल-एअहले-करम<ref>दानियों का तमाशा</ref> देखते हैं
</poem>
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