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जननी जन्मभूमि प्रिय अपनी, जो स्वर्गादपि चिर गरीयसी!
:जिसे राम लक्ष्मण औ’ सीता
:सजा गए पद धूलि पुनीता,
:जहाँ कॄष्ण कृष्ण ने गाई गीता
:बजा अमर प्राणों में वंशी!
:शांति निकेतन जहाँ तपोवन
:ध्यानावस्थित हो ॠषि ऋषि मुनि गण
:चिद् नभ में करते थे विचरण,
:यहाँ सत्य की किरणें बरसीं!