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"बाढ़ / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर
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11:29, 3 जून 2010 का अवतरण
बाढ़ आ गई है, बाढ़!
बाढ़ आ गई है, बाढ़!
- वह सब नीचे बैठ गया है
- जो था गरू-भरू,
- भारी-भरकम,
- लोह-ठोस
- टन-मन
- वज़नदार!
और ऊपर-ऊपर उतरा रहे हैं
- किरासिन की खालीद टिन,
- डालडा के डिब्बे,
- पोलवाले ढोल,
- डाल-डलिए- सूप,
- काठ-कबाड़-कतवार!
बाढ़ आ गई है, बाढ़!
बाढ़ आ गई है, बाढ़!