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|रचनाकार= उदयप्रकाश|संग्रह= एक भाषा हुआ करती है / उदय प्रकाश
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<poem>
सूर्य सबसे पहले बैल के सींग पर उतरा
 
फिर टिका कुछ देर चमकता हुआ
 
हल की नोक पर
 
घास के नीचे की मिट्टी पलटता हुआ सूर्य
 
बार-बार दिख जाता था
 
झलक के साथ
 
जब-जब फाल ऊपर उठते थे
 इस फसल फ़सल के अन्न में 
होगा
 
धूप जैसा आटा
 
बादल जैसा भात
हमारे घर के कुठिला में
 
इस साल
 
कभी न होगी रात ।
</poem>
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