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{{KKRachna
|रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत
|संग्रह= गुंजन / सुमित्रानंदन पंत; पल्लविनी / सुमित्रानंदन पंत
}}
{{KKCatKavita}}
तुम्हारा मुख-अरविन्द सकाम।
:प्रिये, मुकुलित मधु-प्रात
मुक्त नभ-वेणी में सोभार
सुहाती रक्त-पलाश समान;
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