भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गृहकाज / सुमित्रानंदन पंत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{KKGlobal}}
+
#REDIRECT [[आज रहने दो यह गृह-काज / सुमित्रानंदन पंत]]
{{KKRachna
+
|रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत
+
}}
+
{{KKCatKavita}}
+
<poem>
+
आज रहने हो यह गृहकाज
+
प्राण! रहने हो यह गृहकाज! 
+
 
+
आज जाने कैसी वातास
+
छोड़ती सौरभ-श्लभ उच्छ्वास,
+
प्रिये, लालस-सालस वातास,
+
जगा रोओं में सौ अभिलाष! 
+
 
+
आज उर के स्तर-स्तर में, प्राण!
+
सहज सौ-सौ स्मृतियाँ सुकुमार,
+
दृगों में मधुर स्वप्न संसार,
+
मर्म में मदिर स्पृहा का भार! 
+
 
+
शिथिल, स्वप्निल पंखड़ियाँ खोल,
+
आज अपलक कलिकाएँ बाल,
+
गूँजता भूला भौरा डोल,
+
सुमुखि, उर के सुख से वाचाल!
+
आज चंचल-चंचल मन प्राण,
+
आज रे, शिथिल-शिथिल तन-भार, 
+
 
+
आज दो प्राणों का दिन-मान
+
आज संसार नही संसार!
+
आज क्या प्रिये सुहाती लाज!
+
आज रहने दो सब गृहकाज! 
+
</poem>
+

10:33, 10 जून 2010 का अवतरण