{{KKRachna
|रचनाकार=विजय वाते
|संग्रह= गज़ल ग़ज़ल / विजय वाते
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
अगर अपने होने का धोखा रहेगा,
तभी तो इबादत का मौका रहेगा |।
दो पद चिन्ह पदचिन्ह मेरे दो पद चिन्ह पदचिन्ह तेरे,जमा -खर्च इतना -सा होता रहेगा |।
मुझे होश खोकर भी ये होश होगा,
कुल अपने दिल का झरोखा रहेगा |।
बदलता बदलता बदलाता बदलता लगेगा, बदलता मगर सिर्फ खोखा रहेगा |।</poem>